ट्रेन में ठंड से कांपती अपनी छोटी बहन को चोद कर गर्म किया
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मेरा नाम दीपक है। मेरी बहन का नाम ज्योति है ज्योति मुझसे 2 साल छोटी है। हम दोनों दिल्ली के एक इंजीनियरिंग कॉलेज में पढ़ते हैं। हम दोनों भाई-बहन को कॉलेज से छुट्टी मिली थी, इसी वजह से हम दोनों अपने गांव जा रहे थे। दिल्ली से गांव तक हमको करीब चौबीस घंटे का सफर तय हुआ है। ट्रेन में टिकट कन्फर्म नहीं हो रहा था। इस वजह से बहुत मुश्किल हो रही थी। किसी तरह से एक टिकट कन्फर्म मिल रहा था।
टीटी बोला की आपकी बहन का टिकट कन्फर्म कर देता हूं थोड़ा वेट करना होगा। तब तक हम दोनों खाना खा चुके थे। सभी लोग बड़े ठंड की वजह से सो गए खाना खा कर। पूरा डब्बू सुनसान सा लग रहा था। सब लोग अपनी-अपनी जगह पर कमल ओढ़कर सो गए थे। मेरी बहन को हल्का बुखार था जिस वजह से उसे ठंड लग रही थी। मैंने अपने शरीर में सटा कर सुला लिया। तब भी वो काँप रही थी। मुझे कुछ भी नहीं सूझ रहा था. क्या करूँ कैसे करूँ। रात का समय था. कोई और उपाय नहीं।
मेरी बहन कहने लगी भैया मुझे काफी ठंड लग रही है कुछ करो। रात ज्यादातर हो गई थी। मैंने अपने में सता कर दबोच लिया ताकि गर्मी मिल सके। फिर भी वो काँप रही थी। मैंने उसके शरीर को सहिलाना शुरू किया ताकि गर्मी मिल सके।
उसकी चौड़ी गांड मेरे लंड के पास था इस वजह से मेरा लंड खड़ा हो गया था। मैं मना करने की कोशिश कर रहा था कि किसी भी तरह से मेरा लंड खड़ा नहीं हो सका पर ये हो ना पाया मेरी बहन के गांड के बीच बीच में सेट हो गया। मेरा हाथ उसकी चूची पर चला गया और मैं टाइट चूची दबाने लगा।
उसके कंधे को चुमने लग गया उसकी गांड पर हाथ फेरने लगा। धीरे-धीरे मेरी बहन की सांसें तेज-तेज चलती रहीं और कम्पना धीरे-धीरे बंद हो रहा था। उसकी जींस का बटन खोल नीचे कर दिया उसकी पेंटी निकाल दी गई। वो अब सीधी हो गयी। मैंने उसके बूब्स को दबाना शुरू कर दिया। वो अब सिस्कारियां लेने लगी। उसकी चुत पर हाथ फेरने लगा। मैंने उसकी चुत में उंगली कर दी उसने खुद ही अपनी ब्रा उतार दी।
अब मैं बूब्स को मसलने लगा और चुची को मुंह में ले लिया। और मस्त चूसने लगा। अब मुझे आनंद मिल रहा था। अब मैंने उसके होंठों को चूसना शुरू कर दिया। अब उसे भी मजा आने लगा। मेरा एक हाथ उसकी चुत पर था। उसकी चुत पर पानी आने लगा। मुझे जन्नत का ऐहसास हो रहा था। वह मस्त सिसकारी ले रही थी। जिससे मुझे उत्तेजना मिली।
मैंने गांड की तरफ से चुत को हिलाया टांगो को आगे बढ़ाया उसकी अब गांड और चुत मेरे लंड के सामने आ गई है। मैंने अपना लंड निकाल कर उसकी चूत के छेद पर सेट कर दिया और जोर से घुसा दिया। उसकी चुत में पानी पहले से आ गया था जिससे लंड आसानी से घुस गया। अब मैं अपने लंड को अंदर बाहर करने लगा। उसके बूब्स को मसलते लगा। अब वो भी मजे लेने लगी और मैं भी जोर-जोर से चोदने लगा।
अब उसके मुँह से आह आआ ह्घ्घ्घ्हा ओहे्घ्घ्हा आआ की आवाज निकली गांड पीछे कर मेरे लंड को अंदर लेने लगी। और मैं जोर जोर से आगे की तरफ धक्के मरने लगा। मैंने पूछा अब ठंड लग रही है? वो बोली नहीं अब ठंड नहीं लग रही है। तुमने जो मुझे गरम कर दिया। और भी हम दोनों जल्दी जल्दी करने लगे और फिर मैं झड़ने लगा।
मेरा पूरा माल उसकी चुत में समा गया और फिर मैं भाई बहन दोनों एक दूसरे को पकड़ कर सो गए। दूसरे दिन के बाद तो मेरा रिश्ता पूरी तरह से बदल गया। हम दोनों एक दूसरे को सामान्य लगें। घर में तो कम समय मिल रहा है। पर दिल्ली पहुंचकर हमने खूब चुदाई शुरू कर दी। मैंने उसकी कभी गांड तो कभी चुत का स्वाद चखा। मेरी बहन अब मेरी रंडी बन गई थी। यह कहानी आपको कैसी लगी हमें जरूर बताएं।
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